Solar Inverter

जाने क्या अंतर होता है Inverter Vs Solar Inverter Vs Lithium Inverter में

जाने क्या अंतर होता है Inverter Vs Solar Inverter Vs Lithium Inverter में

हेलो कैसे हैं आप सभी और आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं इन्वर्टर के बारें में की इन्वर्टर कैसे काम करता है और Normal Inverter और Solar Inverter और Lithium Inverter में क्या अंतर है और हमें अपने घर में कौनसा इन्वर्टर लगाना चाहिए तो यदि आपके अपने घर के लिए इनवर्टर लेना चाहते हैं.

आप यह सोच रहे हैं कि मुझे अपने घर के लिए कौन सा इनवर्टर लेना चाहिए नार्मल इनवर्टर लेना चाहिए या फिर सोलर इनवर्टर लेना चाहिए या फिर लिथियम इनवर्टर लेना चाहिए तो इन सभी सवालों के जवाब हम आपको आज की इस पोस्ट में दे देंगे और हम आपको यह सभी इनवर्टर के बारे में अच्छे से जानकारी देंगे कि कौन सा इनवर्टर कैसे काम करता है और सबसे सस्ता इनवर्टर कौन सा होगा तो चलिए शुरू करते हैं.

नॉर्मल/सोलर/लिथियम इन्वर्टर कैसे काम करते है.

हमारा जो नॉर्मल इनवर्टर होता है यह कुछ ऐसे काम करते हैं कि हमारे घर में जो मेन सप्लाई आती है उससे यह बैटरीयों को चार्ज करता है और जब मेन सप्लाई ऑफ हो जाती है तब बैटरीयों से DC सप्लाई लेकर यह इन्वर्टर हमारे घर के उपकरणों को चलता है एक नॉर्मल इनवर्टर के ऊपर हम सिर्फ बैटरी लगा सकते हैं और इन बैटरी को चार्ज करने के लिए हम अपने घर की मेन सप्लाई का ही यूज कर सकते हैं या फिर यदि आप इसे सोलर में बदलना चाहते हैं तो आप इसके ऊपर सोलर चार्ज कंट्रोलर लगाकर सोलर पैनल भी लगा सकते हैं.

जिसके बाद में यह सोलर इनवर्टर में बदल जाएगा हम इससे सिर्फ बैटरी बैकअप ले सकते हैं और उन बैटरी को चार्ज कर सकते हैं इसका इतना ही काम है लेकिन हमारा जो सोलर इनवर्टर होता है इसमें हमें बैटरीयों को चार्ज करने के दो रास्ते मिल जाते हैं एक तो हम इससे मेन सप्लाई से अपनी बैटरी को चार्ज कर सकते हैं और दूसरा हमारे घर में यदि हम सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं तो सोलर पैनल के वायर डायरेक्टर इसके अंदर लग जाते हैं और सोलर पैनल की कैपेसिटी इनवर्टर के ऊपर डिपेंड करती है कि 1 इन्वर्टर कितने सोलर पैनल को सपोर्ट करता है तो उतने ही पैनल हम इनवर्टर के ऊपर लगा सकते हैं.

सोलर पैनल से अपनी बैटरीयों को चार्ज कर सकते हैं जब तक हमारे घर में सोलर पैनल से लाइट आती है तब तक हमारे घर का लोड सोलर पैनल से चलता है और जो ज्यादा बिजली होती है तो बैटरी भी चार्ज होने लग जाती है और यदि घर में मेन सप्लाई आई हुई है और सोलर पैनल से लाइट हमें नहीं मिल रही है तो जो सोलर इनवर्टर है यह मेन सप्लाई से हमारे घर के उपकरणों को चलाने लग जाएगा और साथ में हमारी यदि बैटरी डिस्चार्ज है तो वह भी चार्ज होने लग जाएगी और यदि दिन का समय है और सोलर पैनल से लाइट आ रही है.

मेन सप्लाई से भी लाइट आ रही है तो उस वक्त यह हमारे घर की मेन सप्लाई को ऑफ कर देगा और सोलर पैनल से सारा लोड चला देगा ठीक है इस तरह से सोलर इन्वर्टर काम करता है तो अब आई है एक नई टेक्नोलॉजी लिथियम इनवर्टर की लिथियम इनवर्टर कोई अलग इनवर्टर नहीं है बस इसके अंदर जो बैटरी लगती है वह लिथियम होती है हमारे नार्मल इनवर्टर के अंदर जो बैटरी लगती थी वह लेड एसिड बैटरी होती है और इनका एक तो वेट ज्यादा होता है.

एक इनका साइज ज्यादा बड़ा होता है और इसकी मेंटेनेंस भी काफी हो जाती है तो इन सभी समस्याओं से बचने के लिए कंपनी ने अभी लिथियम बैटरी बनानी शुरू कर दी है तो लिथियम बैटरी और किसी नार्मल इन्वर्टर के ऊपर नहीं लग सकती है इसलिए इन बैटरीयों की कैपेसिटी के आधार पर ही इनवर्टर को बनाया जाता है तो इन लिथियम इनवर्टर के ऊपर भी आप सोलर पैनल लगा सकते हैं बहुत से लिथियम सोलर इनवर्टर आते हैं जिनके ऊपर आप सोलर पैनल लगा सकते हैं .

बहुत से इन्वर्टर होते हैं जैसे कि तो अभी कुछ दिन पहले लुमिनस कंपनी ने अपना लिथियम इनवर्टर लॉन्च किया था उसके ऊपर आप सोलर पैनल नहीं लगा सकते हैं तो लिथियम बैटरी के ऊपर मैंने अलग से पोस्ट बने हुई है की लिथियम बैटरी क्या है यह कैसे काम करती है और इसमें क्या अंतर है.

Normal Vs Solar Vs Lithium Inverter में अंतर

1. कस्टमाइज

नॉर्मल इनवर्टर को हम अपने हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं यानी कि इसके ऊपर हम सोलर चार्ज कंट्रोलर लगाकर इसे सोलर में बदल सकते हैं नेक्सस कंपनी ने एक लिथियम बैटरी निकाली है जो आप किसी भी इनवर्टर के ऊपर लगा सकते हैं तो हम वह बैटरी लगाकर हम इसे लिथियम इनवर्टर में भी बदल सकते हैं जबकि आप सोलर इनवर्टर को भी लिथियम में बदल सकते है.

लिथियम इनवर्टर के ऊपर यदि आप सोलर पैनल लगाना चाहते हैं तो अगर वह इनवर्टर लिथियम सोलर इनवर्टर होगा तभी आप उसके ऊपर सोलर पैनल लगा पाएंगे अदर वाइज आप उसके ऊपर सोलर पैनल नहीं लगा पाएंगे.

2. खराब कंडीशन

मान लीजिए हमारे नॉर्मल इनवर्टर की या फिर सोलर इनवर्टर की यदि बैटरी या फिर इनवर्टर इनमें से कोई भी चीज खराब हो जाती है तो हम कोई दूसरा इनवर्टर या फिर बैटरी उसके ऊपर लगा कर अपने घर के लोड को चला सकते हैं और कुछ दिनों का हम काम अपना चला सकते हैं मान लीजिये हमारे घर में एक्टरा कोई इनवर्टर पड़ा है और हमारा इनवर्टर खराब हो जाता है तो हम वह लगाकर अपने घर के लोड को चला सकते हैं .

लेकिन यदि आपने लिथियम इनवर्टर लगवाया है और वह खराब हो जाता है तो आपको लिथियम इनवर्टर जो है वह पूरा ही या तो चेंज करना पड़ेगा या जब तक वो ठीक होकर नहीं आता है तब तक आपको बिना लाइट के ही आपको रहना पड़ेगा क्योंकि इसके अंदर इनबिल्ट ही बैटरी होती है और वह बैटरी किसी और इनवर्टर के ऊपर नहीं लग सकती है तो यह भी एक समस्या है.

4. वेट और साइज़

और एक बात है कि यदि आपको एक या फिर 2 किलो वाट का सोलर सिस्टम लगवाना है और आपके पास जगह कम है तो आप थोड़ी ज्यादा पैसे लगाकर लिथियम इनवर्टर का यूज कर सकते हैं इसमें आपकी एक तो जगह कम रुकेगी और दूसरा इसमें वजन बहुत कम है तो इसे आप कहीं पर भी लगा सकते हैं या फिर दीवार के ऊपर भी लगा सकते हैं और इसके ऊपर आपको कोई भी मेंटेनेंस नहीं करनी है बस आपको एक बार इसको लगा कर छोड़ना है

जबकि हमारा नॉर्मल इनवर्टर या फिर सोलर इनवर्टर आप लगाते हैं तो उसके लिए आपको ज्यादा जगह की जरूरत होगी क्योंकि जो हमारा नॉर्मल इनवर्टर और सोलर इनवर्टर होता है इन के नीचे हमें लेड एसिड बैटरी लगानी होती है और इसका लेड एसिड बैटरी का जो साइज और वेट है वह बहुत ज्यादा होता है तो यदि मेंटेनेंस के बारे में सोच कर आप इनवर्टर लेना चाहते हैं तो आप ज्यादा पैसे लगा कर लिथियम इन्वर्टर ले सकते हैं.

5. बैटरी बैकअप

बैटरी बैकअप के बारे में अभी हम बात करें तो हमारे जो नॉर्मल इनवर्टर और सोलर इनवर्टर के ऊपर हमारी लेड एसिड बैटरी लगती है इनका बैटरी बैकअप जो है वह काफी कम होता है मान लीजिए एक 150Ah की बैटरी चार्ज होने में 2 यूनिट बिजली लेती है तो उससे हम वापस एक यूनिट के करीब ही निकाल पाएंगे क्योंकि उसकी जो एफिशिएंसी है वह करीब 50 से 60 परसेंट ही होती हैं जबकि हमारी लिथियम बैटरी की एफिशिएंसी करीब 95 से 97% होती है और इससे हम बैटरी बैकअप पूरा ले सकते हैं मान लीजिए यह बैटरी चार्ज होने में 2000 वाट लाइट लेती है तो इससे हम 1800 से 1900 वाट लाइट वापस निकाल सकते हैं तो लिथियम इनवर्टर का यह फायदा है कि इससे हम बैटरी बैकअप पूरा ले सकते हैं इससे हम अपने घर के बिजली बिल को और भी ज्यादा कम कर सकते हैं.

6. उपलब्धता

लिथियम इनवर्टर को हम कहीं पर भी लेकर जा सकते हैं मान लीजिए आपको कहीं पर 1 किलोवाट तक लोड चलाना है तो आप 1 किलो वाट का लिथियम इन्वर्टर ले सकते हैं क्योंकि उसके अंदर लिथियम बैटरी होती है तो इस इन्वर्टर का वजन जो है वह करीब 15 से 20 किलो के आसपास होता है तो इसे आप कहीं पर भी लेकर जा सकते हैं और कहीं पर भी लगा कर कोई भी चीज चला सकते हैं लेकिन वहीं यदि आप नॉर्मल इनवर्टर या फिर सोलर इनवर्टर की बात करेंगे,

तो इन इनवर्टर का वजन करीब 10 से 12 किलो के आसपास होता है और इनके नीचे आपको जो बैटरी लगानी होती है एक 150Ah के बैटरी का वेट लगभग 45 से 50 किलो के आसपास होता है तो यह आप हर जगह नहीं लेकर जा सकते हैं क्योंकि इसका वजन बहुत ज्यादा हो जाता है तो लिथियम इन्वर्टर को आप कहीं पर भी ले जा सकते हैं इसका एक यह भी फायदा है.

7. प्राइस

प्राइस की यदि बात करें कि इन तीनों इन्वर्टर में से सबसे सस्ता इनवर्टर कौन सा है तो इनवर्टर आपके ऊपर डिपेंड करता है यदि आपके पास पैसे अच्छे हैं और आप मेंटेनेंस फ्री रहना चाहते हैं तो आप इनमें से लिथियम इनवर्टर ले सकते हैं और यदि आपके पास पैसे थोड़े कम है और आप सोलर सिस्टम से अपना सारा लोड चलाना चाहते हैं यानी कि बिजली बिल बचाना चाहते हैं तो आप इनमें से सोलर इनवर्टर यूज कर सकते हैं और यदि आप का बजट कम है,

आप कुछ देर के लिए अपने घर का लोड इनवर्टर के ऊपर चलाना चाहते हैं तो आप नॉर्मल इन्वर्टर का भी यूज कर सकते हैं और एक बात और है यदि आप बाद में कभी यह सोलर पैनल भी लगाना चाहते हैं तो आप नॉर्मल इनवर्टर के ऊपर सोलर चार्ज कंट्रोलर का यूज करके इसके ऊपर सोलर पैनल भी लगा सकते हैं तो 1000VA का नार्मल इन्वर्टर आपको कम से कम 5000 में मिल जाएगा वहीं यदि आप सोलर इन्वर्टर लेंगें तो आपको वह करीब 12000 रूपये करीब पड़ेगा,

वही यदि आप लिथियम इन्वर्टर लेंगें तो वह आपको करीब 30 से 35 हजार रूपये के आसपास पड़ेगा तो हमारा जो नॉर्मल इन्वर्टर और जो सोलर इन्वर्टर है इनके ऊपर हमें बैटरी अलग से लगानी पड़ेगी लेकिन जो हमारा लिथियम इन्वर्टर होता है इसमें बैटरी इनबिल्ट मिलती है इसमें आपको कोई भी चीज अलग से लगाने की जरूरत नहीं है.

इनमें से कौनसा इन्वर्टर खरीदें.

यदि बात करें की आप को इनमें से कौनसा इन्वर्टर लेना चाहिए तो यह बात अब आपके ऊपर निर्भेर करती है की आपको कौनसे इन्वर्टर की जरूरत है तो यदि आपके पास पैसे अच्छे है और आप एक मेंटेनेंस फ्री इन्वर्टर लेना चाहते है तो आपके लिए इनमें से लिथियम इन्वर्टर ले सकते है इस इन्वर्टर के आपको एक बार पैसे लगाने की जरूरत है उसके बाद आपको कम से कम 10 – 15 साल तक कोई मेंटेनेंस नहीं करनी है और इस इन्वर्टर की वारंटी भी 10-15 साल की होती है,

इससे आप अपने घर का बिजली बिल बहुत कम कर सकते है लेकिन अभी तक लगभग 5 किलोवाट तक के ही लिथियम इन्वर्टर मार्किट में आयें है धीरे – धीरे आगे आपको ज्यादा कैपेसिटी के लिथियम इन्वर्टर भी देखने को मिल जायेगें और आपका ज्यादा बड़ा सोलर सिस्टम अपने घर में लगाना है तो आप सोलर इन्वर्टर का इस्तेमाल कर सकते है इसका प्राइस लिथियम इन्वर्टर से कम होता है और यदि आपको 1 या 2 किलोवाट के छोटे सिस्टम के इन्वर्टर की जरूरत है ,

आपके पास इन्वर्टर बैटरी रखें के लिए अच्छी खासी जगह है तो आप नार्मल इन्वर्टर का इस्तेमाल कर सकते है और इस इन्वर्टर पर आप सोलर चार्ज कंट्रोलर का इस्तेमाल कर के इसे सोलर में भी बदल सकते है.तो उम्मीद है की आपको नार्मल इन्वर्टर और सोलर इन्वर्टर और लिथियम इन्वर्टर में अंतर पता चल गया होगा तो इसके बारें में यदि आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमसे कमेन्ट करके पूछ सकते है धन्यवाद.

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